भारतीय दर्शन की ज्ञान परंपरा पर पी जी कॉलेज में संपन्न हुई दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी

Jul 15, 2023 - 05:32
Jul 24, 2023 - 18:56
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भारतीय दर्शन की ज्ञान परंपरा पर पी जी कॉलेज में संपन्न हुई दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी

दमोह: भारतीय दर्शन की ज्ञान परम्परा को विचार गोष्ठी के माध्यम से चिन्तन स्तर की प्रक्रिया पर परिचर्चा करते हुए भारतीय दर्शन की ज्ञान परंपरा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन संरक्षक डॉ जीएस रोहित अतिरिक्त संचालक,उच्च शिक्षा,सागर संभाग, प्राचार्य डॉ केपी अहिरवार के निर्देशन में स्थानीय पीजी कॉलेज में आयोजित हुआ जिसकी संयोजक डॉ अनीता, उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ केपी अहिरवार,मुख्य अतिथि डॉ विक्रांत सिंह चौहान जन भागीदारी अध्यक्ष,पी जी कॉलेज एवं सारस्वत अतिथि शासकीय महाविद्यालय जबेरा के पूर्व प्राचार्य डॉ एन आर राठौर रहे। इस अवसर पर प्रमुख वक्ता डॉ बृजकिशोर गुप्ता, बेंगलोर,डॉ मीनाक्षी जोशी इलाहाबाद विश्वविद्यालय और डॉ एन एस ठाकुर,सागर रहे, व समापन सत्र के सारस्वत अतिथि डॉ भागचंद जैन भागेंदु और मुख्य अतिथि विधायक अजय टंडन रहे, अतिथियों का स्वागत शॉल और श्रीफल से किया गया इस अवसर पर वक्ताओ के साथ प्राध्यापक,सहायक प्राध्यापक,शोधार्थियों ने भी शोध पत्र का वाचन व आलेख प्रस्तुत किया।

डॉ केपी अहिरवार ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि प्रेरक सिद्धांतो का अनुपालन करते करते हुए जिम्मेदारी को निभाएं कर्म वहीं जो बंधनों से मुक्त करे और शिक्षा वह है जो प्रत्येक वर्ग को मजबूती प्रदान करें। संगोष्ठी की संयोजक डॉ अनिता ने कहा कि ज्ञान से प्रेम करना,ज्ञान को प्रमुखता, कर्म की बात सम्यक ज्ञान है यह विचार गोष्ठी भारतीय दर्शन के विषद रूप का एक अंश रूपी स्पर्श मात्र है,ज्ञान प्रमुख है पर इस ज्ञान से मानव अपने जीवन का परिष्कार करे। सम्यक ज्ञान को उद्धात भाव से जोड़कर बताई गई है जिसका उद्देश्य है मनुष्य के जीवन से मनुष्य के द्वारा दुख की निवृत्ति करना,सारे मूल्य मानव जीवन से आश्रित है।

सारस्वत अतिथि डॉ एन आर राठौर ने कहा कि शुद्ध ज्ञान के प्रति जिज्ञासा ही दर्शन है भारतीय दर्शन की विशेषता है सभी दृष्टि का आदर करना। चिंतन की श्रेणी कोई भी हो प्रमुख है दिशा प्रदान करना। ऐसी शिक्षा का निर्माण करें जो सम्पूर्ण समाज का विकास कर सके, प्राचीन काल से कहा जाता रहा है आपस में मंथन करें ऐसे समाज का निर्माण करें कि सारे समाज का कल्याण हो।

डॉ मीनाक्षी ने कहा कि आज भी एक शिशत्व को ग्रहण करने की पिपासा है जो ज्ञान के प्रति अनवरत अनुराग से लिप्त है,शुद्ध ज्ञान के प्रति जिज्ञासा ही दर्शन है कोई भी दृष्टि अलग नहीं होती,भारतीय दर्शन हर दृष्टि का स्वागत करता है।शुद्ध ज्ञान के प्रति जिज्ञासा यही दर्शन का समूह है,कोई भी दृष्टि अलग नहीं होती, भारतीय दर्शन किसी भी दृष्टि को नकारता नहीं पर स्वागत करता है,चिंतन की विभिन्न श्रेणियां परम तत्व का अनुसंधान कर लेती है,दर्शन आसमानी नहीं पर लोक जन्म स्थली है छोटे छोटे अनुभव को कसौटियों पर कसते है जब वे सिद्धांत के रूप में परिणिति होते है तो उसे शास्त्रों में हम ले लेते है। ज्ञान परंपरा की धारा टूटी है जिसने हमारे शास्त्रों और ज्ञान को अलग कर दिया,'न', हम वो वंशधर है जो कोहम से सोहम की यात्रा करते है अनुभूति के ही विचार है जिसे बुनकर भी संवरण और रक्षा कर सकते है।

डॉ ब्रज किशोर ने बताया कि आज युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है समाज में बिखराव,भटकाव है,युवा से ही राष्ट्र का निर्माण संभव है आज नई दिशा और दर्शन की जरूरत है।

डॉ एन एस ठाकुर ने बताया कि ज्ञान अनंत है हम कम जानते है जीवन क्यों बना खोज करे। उद्घाटन सत्र में डॉ जी रोहित ने अपने उद्बोधन में कहा जैसा सोचे वैसा दर्शन है साहित्य की दृष्टि से हम समृद्ध है प्राचीन ज्ञान परंपरा से कहीं कहीं वंचित भी रखा गया दार्शनिको,चिंतकों के कारण आजादी मिली। संगोष्ठी के दूसरे दिन समापन सत्र में सारस्वत अतिथि डॉ भागचंद जैन भागेंदु ने ज्ञान व दीक्षा को मानव विकास के लिए जरूरी बताया उन्होंने कहा कि मनुष्य एक विवेकपूर्ण प्राणी है उसका एक उद्देश्य होता है कि अपना व समाज का उद्धार कैसे किया जा सकता है वह अच्छे निर्णय लेकर परिस्थिति बदल सकता है। युक्ति और आगम पूर्ण ज्ञान दर्शन है,चिंतन ने ही साहित्य को समृद्ध किया। सुनना,समझना और पहचानना मूल दर्शन के तत्व है।

संगोष्ठी के समापन पर विधायक अजय टंडन ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले अपने आप में दर्शन करें कि क्या हम दर्शन योग्य है क्या हम जो कह रहे है,जो कर रहे है उसमें परिपक्व है तो हम अपने मन के अंदर दर्शन करें,जब जवाब न मिले तो आंख बंद कर लें ,अपने आप से सवाल करें,जब ध्यान करेंगे तो कठिन से कठिन सवाल के जवाब मिल जाएंगे।विचार गोष्ठी के उद्घाटन सत्र का सफल संचालन डॉ इंदिरा जैन, अकादमिक सत्र के प्रथम और द्वितीय सत्र का संचालन कीर्तिकाम दुबे एवं समापन सत्र का संचालन डॉ हरिओम दुबे ने किया,इस अवसर पर बौद्धिक वर्ग, गणमान्य नागरिक,छात्र और कॉलेज स्टाफ उपस्थित रहा।

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Dheeraj Kumar Ahirwal Dheeraj Kumar Ahirwal Is A Journalist And Madhya Pradesh State Head Of Mission Ki Awaaz.