आज का शुभ मुहूर्त, 13 अक्टूबर 2022: करवा चौथ व्रत आज, जानें शुभ-अशुभ समय और राहुकाल, आज का मौसम और आज चांद कैसा दिखेगा

Jul 15, 2023 - 05:25
Jul 17, 2023 - 22:07
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आज का शुभ मुहूर्त, 13 अक्टूबर 2022: करवा चौथ व्रत आज, जानें शुभ-अशुभ समय और राहुकाल, आज का मौसम और आज चांद कैसा दिखेगा

आज का पंचांग : आज 13 अक्टूबर दिन गुरुवार है. आज करवा चौथ व्रत है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं. आज कार्तिक चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी व्रत भी है. आज औरत के लिए अति महत्वपूर्ण दिन रहेगा. आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है. करवा चौथ व्रत में अखंड सौभाग्यवती माता पार्वती की पूजा की जाती है. करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth) आज 13 अक्टूबर दिन गुरुवार है. आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है. आज करवा चौथ व्रत है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत में अखंड सौभाग्यवती माता पार्वती की पूजा की जाती है. महिलाएं उनसे उनके समान ही अखंड सुहाग का आशीर्वाद देने की प्रार्थना करती हैं. पूजा में भगवान शिव और गणेश जी को भी शामिल किया जाता है. इस व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ होता है. चंद्रमा को जल अर्पित करने से पति की आयु बढ़ती है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इस व्रत में करवा के अखंड सौभाग्य की व्रत कथा भी सुनते हैं. आज कार्तिक चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी व्रत भी है. इस दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं. संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं. गणेश जी की कृपा से सुख, सौभाग्य, ज्ञान आदि बढ़ता है. इस व्रत में भी रात के समय में चंद्रमा की पूजा करते हैं और जल अर्पित किया जाता है. यह व्रत भी बिना चंद्रमा की पूजा के पूर्ण नहीं होता है. वैसे आज गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृ​हस्पति की पूजा के लिए है. भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, गुड़, चने की दाल, बेसन के लड्डू, केला, पंचामृत, तुलसी के पत्ते आदि अर्पित करके पूजन करना चाहिए. इससे मांगलिक कार्यों के लिए योग बनता है. आइए पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी होगी आज ग्रहों की स्थिति. क्यों मनाया जाता है करवा चौथ भारतीय महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सबसे महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए किया जाता है। द्वापर युग से लेकर कलयुग तक यह पर्व उतनी आस्था और विश्वास से किया जाता है, जैसा द्वापर युग में किया जाता है। आज सुहागन महिलाएं सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग में इस व्रत को करेंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ के दिन जिसकी पूजा करते हैं, आखिर वह करवा माता कौन हैं और किस तरह से उनके नाम पर करवा चौथ की शुरुआत हुई। आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक कथाओं के बारे में. पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक करवा नाम की पतिव्रत स्त्री थी। उनका पति काफी उम्रदराज था। एक दिन वह नदी में स्नान करने गया है तो नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ा लिया और निगलने के लिए खींचने लगा। उसने चिल्लाकर अपनी पत्नी करवा को बुलाया और सहायता के लिए कहने लगा। करवा बहुत पतिव्रता था, जिससे उसकी सतीत्व में काफी बल थी। करवा नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंचकर सूती साड़ी से धागा निकालकर अपने तपोबल के माध्यम से उस मगरमच्छ को अपने तपोबल के माध्यम से बांध दिया। सूत के धागे से बांधकर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची। यमराज ने करवा से पूछा कि हे देवी आप यहां क्या कर रही हैं और आप चाहती क्या हैं। करवा ने यमराज से कहा कि इस मगर ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था इसलिए आप अपनी शक्ति से इसके मृत्युदंड दें और उसको नरक में ले जाएं। यमराज ने करवा से कहा कि अभी इस मगर की आयु शेष हैं इसलिए वह समय से पहले मगर को मृत्यु नहीं दे सकते। इस पर करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आपको ही नष्ट कर दूंगी। करवा की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण ना तो वह उसको शाप दे सकते थे और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते थे। तब उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया। साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होगा। चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। मैं वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेगी, उसके सौभाग्य की रक्षा मैं करूंगा। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलने से इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह मां करवा पहली महिला हैं, जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए न केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की। करवा चौथ के व्रत को करने के बाद शाम को पूजा करते समय माता करवा चौथ कथा पढ़ना चाहिए। साथ ही माता करवा से विनती करनी चाहिए कि हे मां, जिस प्रकार आपने अपने सुहाग और सौभाग्य की रक्षा की उसी तरह हमारे सुहाग की आप रक्षा करें। साथ ही यमराज और चित्रगुप्त से विनति करें कि वह अपना व्रत निभाते हुए हमारे व्रत को स्वीकार करें और हमारे सौभाग्य की रक्षा करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था, जिसका उल्लेख वारह पुराण में मिलता है। आज का मौसम, क्या थमेगी बारिश का सिलसिला. पिछले कई दिनों से देश के कई हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक कई इलाकों में मौसम का ऐसा ही मिजाज बना रहेगा। ऐसे में लोगों के मन में संशय है कि करवा चौथ के मौके पर 13 अक्टूबर को मौसम कैसा रहेगा और चांद दिखेगा या नहीं। मौसम विभाग के मुताबिक 13 अक्टूबर को विभिन्न राज्याें में बादल छाए रहेंगे। अलग-अलग इलाकों में हल्की बारिश होने का भी अनुमान है। दिनभर सूरज बादलों से लुकाछिपी करता रहेगा। इसके बाद रात 8 बजकर 19 मिनट पर चांद निकलेगा। कुछ जगह बादल होने के चलते यह समय कुछ आगे भी खिसक सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो दिन 11 व 12 अक्टूबर को हल्की बारिश होगी। इसके बाद 13 से 16 तक बादल छाए रहेंगे। करवा चौथ में महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रख रात में चांद देखकर अपना व्रत खोलती हैं। इस साल चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 19 मिनट पर है। ऐसे में अगर आसमान में बादल रहते हैं या फिर बारिश होती है तो महिलाओं को मायूसी हाथ लग सकती है। वहीं आज वाराणसी में आज सुबह हल्की बारिश भी हुई है. और पास के कई इलाकों में भी हल्की बारिश हुई है. जिससे कुछ ठंड बढ़ गई है. और देखें तो मौसम को ध्यान में रखकर व्रतियों को परेशानी नहीं हो इसके लिए विभिन्न रेजिटेंड वेलफेयर एसाेसिएशन ने पांडल लगाने व महिला संगीत की व्यवस्था की है। यहां रात में व्रत पूरा करने के लिए और चांद देखने के लिए लोगों ने खुले मैदान में टेंट लगाए हैं। जिससे बादलों या इमारतों के पीछे छिपे चांद को दूर से देखा जा सके।

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