गर्भावस्था को परिवार के सदस्यों द्वारा बेहद सामान्य समझा जाता है, सीवियर एनीमिया अप्रत्यक्ष रूप से मातृ मृत्यु की वजह - डॉ त्रिवेदी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संगीता त्रिवेदी ने कहा है यह खेदजनक है कि गर्भावस्था को परिवार के सदस्यों द्वारा बेहद सामान्य समझा जाता है। जच्चा की सेहत के प्रति उदासीनता भी दिखाई जाती है। जिले में गत दिवस पटेरा एवं हटा विकासखंड में 2 मातृ मृत्यु प्रकरणों में ऐसा होना पाया गया। दोनों ही मामलों में सीवियर एनीमिया अप्रत्यक्ष रूप से मातृ मृत्यु की वजह रही है। महिला के परिजनों ने भी संबंधित महिला की बिगड़ी सेहत के प्रति उदासीनता दिखाई। परिणाम स्वरूप असमय ही मृत्यु हुई।
डॉ त्रिवेदी ने बताया ग्रामीण क्षेत्र में संचालित डिलेवरी प्वाईंट लेबल-1 भटिया में प्रसव के लिए आई महिला का बी.पी. बढ़ा हुआ था, अत्याधिक उल्टियां भी हुई थी। पदस्थ प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता ने जांच भी कराई, जीवित शिशु का जन्म हुआ। किन्तु प्रसव पश्चात महिला को झटके आने के कारण रेफर किया गया, किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि सांस की नली में उल्टी जाने की वजह से प्रसूता की रास्ते में मृत्यु हुई।
इसी प्रकार ग्राम बरबसपुरा निवासी गर्भवती का सुरक्षित प्रसव सिविल अस्पताल हटा में चिकित्सक द्वारा कराया गया। चिकित्सक द्वारा महिला के साथ मौजूद परिजनों को महिला की जोखिमपूर्ण स्थिति के बारे में बताते हुए डी.एच. रेफर करने की बात कही गई, किन्तु परिजन जाने के लिए तैयार नहीं थे। महिला के पति द्वारा लिखकर दे दिया गया कि हम किसी भी हालत में दमोह लेकर नहीं जायेगें। पेशेंट को कुछ भी होने पर जिम्मेदारी उनकी खुद की होगी। सैप्टिक शॉक एवं मल्टीआर्गन फेलियर की वजह से संबंधित महिला की मृत्यु होना पाया गया।
गौरतलब है कि जिला चिकित्सालय में 7 ग्राम/डी.एल. से कम हिमोग्लोबिन वाली गर्भवती, धात्री अथवा अन्य हितग्राहियों को रक्तदान जिला चिकित्सालय में किया जाता है, जबकि 9 ग्राम/डी.एल. से 7 ग्राम/डी.एल. हिमोग्लोबिन वाली हितग्राहियों को समुदाय के निकट ही संचालित हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर उप स्वा.केन्द्र में पदस्थ सी.एच.ओ. आयरन सुक्रोज की डोज लगाकर महिलाओं में एच.बी. स्तर पर निगरानी रखी जाती है।
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