प्रशिक्षण में बताए बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीके
एकोरासी कृषि विज्ञान केंद्र
करौली: हिंडौन सिटी पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत आयोजित सात दिवसीय व्यवसायिक बकरीपालन प्रशिक्षण के समापन के मौके पर केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण के प्रभारी डॉ.बच्चू सिंह मीना ने बताया कि इस प्रशिक्षण में जिले के 30 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया और उनको सात दिनों के अन्तर्गत बकरीपालन व्यवसाय की महत्वपूर्ण बारीकियों तथा वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन एवम उनके उचित पोषण तथा आहार के बारे में जानकारी दी । इसके अलावा पूर्वी राजस्थान में पाली जाने वाली बकरियों की नस्ल जैसे जमुनापारी, बरबरी,कोटा करौली, जखराना आदि की पहचान एवम उनके समुचित प्रजनन प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षणार्थियों को एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण रोंडकला ग्राम में करवाया गया। जहां पर उन्होंने बकरीपालन,मछलीपालन, बतखपलन, मुर्गीपालन इकाईयों का भ्रमण करने के साथ समन्वित कृषि प्रणाली की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के.मीना ने केंद्र की गतिविधियों के बारे में बताया और किस प्रकार प्रशिक्षणार्थी अपने अंदर छुपे हुए कोशल को विकसित कर कोई नया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं जो की आमदनी का जरिया बन सके। केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. एस. एल. कसवा ने बताया कि बकरियों को सालभर किस प्रकार आहार का प्रबंधन करें जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकें l केंद्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. प्रियांशु त्रिपाठी ने बकरी के दूध का पोषण महत्व के बारे में जानकारी दी। केंद्र के मौसम वैज्ञानिक ने अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों का धन्यवाद किया और उनको जिले में मौसम एवं जलवायु से संबंधित घटित होने वाली घटनाओं से किस प्रकार अपने पशुधन को सुरक्षित रखा जाय।
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