जयपुर मे हो रहे जन हक धरना में उठ रही आम जन की विभिन्न प्रमुख मांगें
जयपुर: राजस्थान में जब RTI बना, सूचना का अधिकार, इसके बाद से 2014 से लगातार जवाबदेही कानून की मांग लगातार उठ रही है, जो अब जन हक धरना में बदल चुका है
हम अपनी अंतिम सांस तक जवाबदेही की मांग करते रहेंगे -कविता श्रीवास्तव
समाज को केवल दो फाड़ में ना देखें, हम सब सतरंगी हैं पुष्पा माई
महिलाओं के हित के लिए बनाया गया आयोग महिला विरोधी नजर आने लगा है लेकिन हम इस सबके खिलाफ लड़ते रहेंगे -लाडकुमारी जैन
देश के कुल बजट का आधा हिस्सा महिलाओं और उनसे जुड़ी जरूरतों पर खर्च किया जाए -कश्मीरा
हमें समाज को बंटने से बचाना होगा, महिला ही सांप्रदायिकता से सबसे अधिक पीड़ित होती है - निशात हुसैन
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा शहीद स्मारक पर चल रहे धरने में आज महिला सशक्तिकरण और महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई जिसमें विभिन्न जन और महिला संगठनों के लोगों ने भाग लिया।
प्रसिद्ध मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने धरने की शुरुआत करते हुए माहवारी पर अपनी बात रखी और कहा कि आज भी महिलाओं के लिए माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड उपलब्ध नहीं जिससे उनको कई बीमारियां हो जाती हैं जिससे कभी कभी उनकी मौत भी हो जाती है या फिर वे लंबे समय तक बीमारियां झेलती रहती हैं। उन्होंने कहा कि चाहे घरेलू हिंसा हो या अन्य परेशानियां महिला हमेशा परेशानी में जीती है। इसलिए हम लोग तो सरकार से अपनी अंतिम सांस तक सरकार से जवाबदेही मांगते रहेंगे।
कार्यक्रम में लंबे समय से ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ कार्य कर रही पुष्पा माई ने कहा कि समाज हमसे कितना भादभाव करता है और समाज का देखने का चश्मा केवल दो फाड़ में देखने का रहता है महिला और पुरुष लेकिन हमारा समाज तो सतरंगी है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर के लिए बोर्ड बना दिया और उसमें धन की व्यवस्था भी की है लेकिन बोर्ड ही ट्रांसजेंडर की मदद नहीं कर रहा है। राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि जिस महिला आयोग को महिलाओं के हित लिए बनाया गया है वही आयोग महिलाओं के खिलाफ पुलिस को आदेश दे देता है। राजस्थान के महिला संगठन इस तरह की मानसिकता के लोगों और संस्थाओं के साथ अपनी लड़ाई लड़ता रहेगा।
दलित महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत कश्मीरा सिंह ने कहा कि भारत सरकार को देश के कुल बजट का आधा हिस्सा महिलाओं और उनसे जुड़ी जरूरतों पर खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में जब आधी आबादी महिलाओं की है तो उनका बजट में भी आधा हिस्सा हो। विविधा से जुड़ी ममता जेटली ने कहा कि हमें हमारा हक के लिए आगे आना होगा और जागरूकता के साथ लड़ाई लड़नी होगी। नेशनल मुस्लिम महिला आंदोलन से जुड़ी निशात हुसैन ने कहा कि आज जो समाज में सांप्रदायिक जहर फैलाया जा रहा है उसे रोकना होगा, उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक घटनाओं में महिलाएं ही सबसे अधिक प्रताड़ित होती हैं। जनवादी महिला समिति से जुड़ी शशिकालापुरी ने कहा कि हमें बराबरी और भागीदारी की बात एक साथ करनी होगी, हमें हमारा हक छीनना होगा। भारतीय महिला फेडरेशन की राज्य की महासचिव निशा सिद्धू ने कहा कि महिलाओं के साथ तो 24 घंटे इमरजेंसी होती है। मेरे पास दिन हो या रात फोन आते रहते हैं जिनके साथ मैं डील करती हूं ये सब काम सरकार का है जो उनको सुरक्षा मुहैया कराए और हर आपात स्थिति में उनके काम आए।
प्रवासी महिलाएं हो रही हैं अधिकारों से वंचित
धरने में उपस्थित मंजू राजपूत ने कहा कि प्रवासी महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी का भारत सरकार ने आदेश कर दिया लेकिन अन्य राज्यों के लोगों को राजस्थान में राशन नहीं मिलता है जबकि वे खाद्य सुरक्षा के लाभार्थी हैं। इसी तरह महिलाओं को सैनिटरी पैड हो या अन्य सुविधाएं प्रवासी महिलाओं को नहीं मिल पाती है।
सैनिटरी पैड एक योजना नहीं ये महिला के जीवन से जुड़ा पहलू है
पीयूसीएल से जुड़ी प्रग्न्या जोशी ने कहा कि राज्य सरकार ने माहवारी को समस्या के रूप में मान्यता प्रदान की है, जैसा कि 'उड़ान' के माध्यम से सेनेटरी पैड के वितरण के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन करके स्पष्ट दिखाई देता है। हालांकि महावारी के लिए यह प्रयास काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि सैनिटरी पैड की गुणवत्ता और उसके डिस्पोजल के बारे में भी सोचने की आवश्यकता है।
अजमेर जिले से आए नौरतमल ने कहा कि हर वितरण अवधि में लड़कियों को 12 पैड का वादा किया था लेकिन 6 सेनेटरी नैपकिन मिलती है। कोटड़ा, उदयपुर के मंजूला आदिवानी विकास मंच ने खुलासा किया कि फरवरी से वितरण के बाद से उन्हें कोई पैड नहीं मिल रहे थे, और एडमिनिस्ट्रेशन को आग्रह करने के बाद वितरण की व्यवस्था हुई। जगतपुरा, जयपुर के आजाद फाउंडेशन की राधा ने साझा किया कि निजी स्कूल और कॉलेजों में अध्ययन करने वाली महिलाओं को अपने शैक्षणिक संस्थानों से सेनेटरी नैपकिन की पहुंच नहीं होती है, उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी आदि संस्थानों की जवाबदेही कानून एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
घरेलू कामगार महिला यूनियन से जुड़ी वासना चक्रवर्ती ने कहा कि घरेलू महिलाओं को योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है क्योंकि हमारा किसी प्रकार का पंजीकरण कहीं पर नहीं होता है। हमारा पंजीकरण हो और हमें पहचान मिले जिससे हमें योजनाओं का फायदा मिल सके।
सभी लोगों की बातों से यह स्पष्ट था कि इन संस्थानों को जवाबदेही और निगरानी की सख्त आवश्यकता है।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा
वक्ताओं ने MSSKs के क्रियान्वयन, महिला आयोग की चुनौतियों और ट्रांसजेंडर समुदाय की संकटपूर्ण स्थिति पर चर्चा हुई। उन्होंने MKSS के ऐतिहासिक विकास, महिला आयोग की भूमिका के संबंध में चिंताएं, और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक समावेशन के अवसरों को उजागर किया। इसके अलावा, जवाबदेही और जेंडर-साझीदारी बजट का महत्व भी चर्चा का हिस्सा था।
ज़मीन, शामलात और किसानों के मुद्दों पर चर्चा कल
कल जन हक धरने में खेती किसानी, जमीन और शामलात के मुद्दों पर बात की जाएगी और उनमें जवाबदेही किस प्रकार जरूरी है भी बात होगी और उसे सबके सामने रखा जाएगा। जनवादी महिला समिति से जुड़ी सुमित्रा चौपड़ा, कुसुम साईवाल, पुष्पा सैनी, कांता माली आदि ने भी संबोधित किया। मंच का सफल संचालन प्रग्न्या जोशी ने किया।
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