गरीब अमीरों के लिए समान शिक्षा जरूरी, जन हक धरना जयपुर
जयपुर: राजस्थान में लगातार धरातल पर संघर्ष चल रहा है | जिसमें सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान और सैकडो़ सामाजिक संगठन लगातार जमीनी संघर्ष कर रहे है, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका में रहे है, जहां आमजन के मुद्दो के लिए प्रयासरत रहे है 07 जुलाई 2023 जन हक धरना शहीद स्मारक पर लगा है आज भी राजस्थान एक पिछडा़ हुआ राज्य है जहां शिक्षा का विस्तार उस गति से नही हो पाया जितना होना चाहिए |
नई शिक्षा नीति वैज्ञानिकता को नकारने और अंधविश्वास बढ़ाने वाली है ये आने वाली पीढ़ियों को भ्रमित करेगी - कोमल श्रीवास्तव
सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी पद तुरंत भरे -एकता नंदवाना
राजस्थान सरकार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी तुरंत लाए - सरफराज शैख
अमीर के लिए अलग और गरीब के लिए अलग शिक्षा व्यवस्था है जिसे हमें समाप्त करना होगा -शंकर सिंह
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा शहीद स्मारक पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने चल रहे धरने में आज शिक्षा की व्यवस्था और जवाबदेही को लेकर चर्चा हुई और कई प्रस्ताव लिए गए।
धरने के शुरुआत उठ जाग प्रशासन भोर हुई अब रैन कहां जो सोबत है के साथ हुई जिसमें साथियों ने देश के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री से जागने का आह्वान किया और जवाबदेही कानून लाए जाने की मांग की।
नई शिक्षा नीति पर हुई बात
धरने में भारत ज्ञान विज्ञान समिति से जुड़ी कोमल श्रीवास्तव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जो नई शिक्षा नीति आई है वह निजीकरण को बढ़ावा देने वाली है और इसी के साथ वैज्ञानिकता को नकारने वाली है। उन्होंने कहा कि ये विज्ञान घटाएगी और अंधविश्वास को बढ़ाएगी। उनका ऐसा भी मानना है कि ये आने वाली पीढ़ियों को भ्रमित करेगी। नई शिक्षा नीति में सुदृढ़ नागरिक बनाए जाने का कहीं विजन उसमें नहीं दिखता है। उन्होंने आगे ये भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब राजस्थान में थी तो उन्होंने मर्जर के नाम पर बहुत सारे स्कूल बंद कर दिए। ये बहुत ही गलत कदम उठाया गया था अभी सरकार को सभी बंद किए स्कूल खोलने चाहिए।
स्कूल और कॉलेज में खाली पदों को भरने की उठी मांग
धरने में राष्ट्रीय आरटीई फॉर्म से जुड़ी एकता नंदवाना ने कहा कि बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली होते हैं उसी के साथ सरकार शिक्षकों को कई अन्य प्रकार की ड्यूटी में लगा देती है जिससे विद्यालयों में पढ़ाई बाधित होती है। उन्होंने कहा कि जितने भी पद स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में खाली है उन्हें सरकार भरे और शिक्षकों की ड्यूटी अन्य कार्यों में नहीं लगाई जाए। साथ ही शिक्षा नीति जो राजस्थान सरकार लागू कर रही है उसमें जो विसंगतियां है उस पर सुझाव मांग कर इसे ठीक करने की जरूरत है।
धरने में आए विभिन्न लोगों ने भी अपने गांव में कितने शिक्षक हैं और क्या स्थिति पर भी बात रखी।
शिक्षक स्थानांतरण की लंबे समय से कर रहे हैं मांग
दक्षिण राजस्थान में शिक्षा के मुद्दों पर लंबे समय से काम कर रहे और आदिवासी अधिकार मंच से जुड़े सरफराज शेख ने कहा हम अभियान की ओर से शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी की मांग 2015 से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार तो पॉलिसी वेबसाइट पर भी आ गई थी लेकिन फिर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया और उसे आज तक नहीं लाया गया है, इसलिए शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी इसी सत्र में लाई जाए जिससे शिक्षकों का समान वितरण हो सके।
इसके साथ ही शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रत्येक राजस्व गांव में विद्यालय हो व यदि गांव की परिधि बड़ी है तो हर 1 किमी पर विद्यालय होना चाहिए। परन्तु उदयपुर जिले के कोटडा ब्लॉक जो आदिवासी बाहुल्य है में 29 राजस्व गांव ऐसे हैं जहां पर अभी तक ना तो स्कूल है और ना ही आंगनवाड़ी है ये बहुत ही गंभीर बात है।
मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि आज अमीरों के लिए अलग और गरीबों के लिए अलग शिक्षा व्यवस्था बन गई है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता का बिलकुल भी स्तर आज विद्यालयों में नहीं है जिससे गरीब बच्चे वंचित रह रहे हैं। सत्ता में बैठे लोग शायद यही चाहते हैं कि गरीबों के बच्चे पढ़ लिख न जाएं और सवाल पूछने ना लग जाए।
धरने में विभिन्न क्षेत्रों की वस्तुस्थिति से अवगत कराया
धरने में जोधपुर से लालचंद पंवार, सुमन, पाली से रेखा, श्रीगंगानगर से रजनी, बारां से भावना, युवाओं के साथ कार्य कर रही ममता, अजमेर से नोरतमल, आदिवासी इलाकों से आए धर्मचंद खैर, प्रतापगढ़ से आई विद्या जाटव, डूंगरपुर से देवीलाल भूरिया आदि ने हकीकत बयां की और आज के स्कूलों के हालत बताए।
कल होगी महिला मुद्दों और जवाबदेही पर बात
जन हक धरने में कल महिलाओं के आर्थिक सामाजिक, विकास और सुरक्षा से संबंधित अधिकारों और उनको किस वजह से नहीं मिल पा रहे हैं उसके मूल कारण क्या हैं और जवाबदेही की आवश्यकता क्यों है आदि पर सुबह 11 बजे से बातचीत होगी और राज्य सरकार से जवाबदेही की मांग की जाएगी।
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