जमीन, किसान, शामलात के मुद्दो को लेकर गरमाया रहा, जन हक धरना

Jul 11, 2023 - 02:34
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जमीन, किसान, शामलात के मुद्दो को लेकर गरमाया रहा, जन हक धरना

निजी स्वार्थ और सरकारें मिलकर हमारी जमीनों को कब्ज़ा कर रहे हैं - गुरप्रीत संघा

भारत सरकार किसानों की जमीन को बड़े पूंजीपतियों को देना चाहती है - दिनेश एब्रॉल

बीमा के नाम पर कंपनियां किसान को लूट रही है - छगन चौधरी

शामलात संसाधनों को बचाना होगा नहीं तो हमारा पर्यावरण और जीवन खतरे में पड़ जायेगा - शंकर लाल बैरवा

महिला किसानों के लिए नीति बनाई जाए क्योंकि आज तक महिलाओं को किसान के तौर पर पहचान नहीं मिली है -लक्ष्मी

जमीन से जुड़े सभी दस्तावेजों को पारदर्शी किए जाए - विमला मीना

विभिन्न प्रस्ताव हुए पास

जयपुर: सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा जवाबदेही की मांग को लेकर शहीद स्मारक पर चल रहे जनक धरने में आज जमीन शामलात और खेती के मुद्दों पर विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बातचीत की गई।
धरने की शुरुआत रघुपति राघव राजा राम सरकार को बुद्धि दे भगवान के भजन के साथ हुई जहां पर अभियान से जुड़े साथियों ने सरकारों को बुद्धि देने का आह्वान किया।
धरने में भीलवाड़ा जिले से आए शंकर लाल बैरवा ने कहा कि हमें शामलात संसाधनों को बचाना होगा नहीं तो हमारा पर्यावरण और हमारा खुद का जीवन ही खतरे में पड़ जाएगा उन्होंने आगे कहा कि आज जिस प्रकार चारागाह और शामलात भूमि पर व्यक्तियों के कब्जे हो रहे हैं उससे पशुधन के लिए गांव में बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

बीकानेर जिले से आए गेनाराम राइका ने कहा कि हम राजस्थान के विभिन्न जिलों के पशुपालक और किसान लंबे समय से शामलात पॉलिसी राजस्थान में लागू किया जाने की मांग कर रहे हैं वह अभी तक राजस्थान में लागू नहीं हुई है। हमारा मानना है कि यह नीति जल्द राजस्थान में लाई जाए और उसे लागू किया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े और किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले गुरप्रीत सिंह सांगा ने कहा कि आज ना केवल निजी व्यक्ति सामूहिक जमीन पर कब्जा कर रहे हैं बल्कि सरकारें भी कब्जा कर रही हैं और उस जमीन को पूंजीपतियों को दे रही है जिससे पशुपालकों के लिए किसानों के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है उन्होंने कहा कि आज के समय में सभी को मिलकर संगठन और यूनियन बनाने होंगे और हमारी लड़ाई को गांव से लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक लड़ने की आवश्यकता है तभी जाकर किसानों को अपना हक मिलेगा।
वैज्ञानिक एवं जन सरोकार से जुड़े दिनेश एब्रोल ने कहा कि देश की सरकार आज किसानों की जमीन को लेकर बड़े पूंजीपतियों को देना चाहती है, इसको समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी।

स्कॉलर एवं किसान आंदोलन में सक्रिय रहे महेश चौधरी ने कहा की किसानों को उनकी उपज का मूल्य ठीक नहीं मिल रहा है उन्होंने कहा कि बाजार में जो अन्य सामान मिलता है जिसे निजी कंपनियां बनाती हैं उनकी कीमत 350 गुना बढ़ी है जबकि किसान की कीमतें केवल 19 गुना बड़ी है यह एक तरीके से किसानों के साथ बड़ा अन्याय है उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर आज भी सभी फसलों की खरीद नहीं होती है और जिन फसलों की खरीद की जा रही है उन्हें भी समय पर नहीं खरीदा जाता है और किसान को समय पर उसका भुगतान नहीं मिलता है।
राजस्थान किसान सभा के महामंत्री कॉमरेड छगन चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार फसल बीमा के नाम पर किसानों से लूट कर रही है उन्होंने कहा कि किसान और सरकार जो प्रीमियम जमा करते है उसके बाद प्राइवेट बीमा कंपनियां किसानों की फसल बर्बाद होने या अकाल की वजह से फसल नहीं होने या फसल में किसी भी तरह का रोग आ जाने पर किसान की फसल नष्ट हो जाने पर बीमा कंपनियां किसान को क्लेम नहीं देती हैं। किसान एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर लगाते रहते हैं उसके लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जाती है और इन बीमा कंपनियों को भारत सरकार द्वारा बड़ा फायदा पहुंचाया जा रहा है।
महिला किसान अधिकार मंच से जुड़ी लक्ष्मी ने कहा कि आज भी समाज और सरकार महिला को किसान नहीं मानते हैं और किसानों के नाम पर केवल पुरुष को ही प्राथमिकता दी जाती है इसलिए हमारा मानना है कि महिला किसानों के लिए सरकार अलग से एक नीति लेकर आए।
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़ी विमला मीणा ने कहा कि जमीन चाय खेती की हो आबादी की हो शामलात की हो सभी के दस्तावेजों में पूर्ण पारदर्शिता लाई जाए। अभियान से जुड़ी और टोंक से आई राजू चौधरी ने कहा कि सरकारों को किसानों के लिए बिजली देते समय यह सोचना चाहिए कि वह दिन के स्लॉट में दी जाए क्योंकि महिला किसानों को रात में बिजली का इस्तेमाल करने में बहुत बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

किसान स्वराज अभियान एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े नचिकेत उडुप्पा ने कहा कि एक किसान मजदूर आयोग का गठन किया गया है जिसकी राजस्थान में समिति। बनाई जायेगी और उसका काम आगे बढ़ाया जाएगा।

कई अन्य वक्ताओं ने भी खेती, किसानी, शामलात और जमीन से संबंधित मुद्दों पर अपनी बात रखी।
कल बेघर एवं घूमंतुओं के मुद्दों पर होगी जवाबदेही की बात
कल जवाबदेही धरने में सड़क पर अपना जीवन जीने वाले और घुमंतुओं के विभिन्न मुद्दों पर बात होगी। इस पर अपनी बात रखने और मुद्दों पर जवाबदेही मांगने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से घुमंतू और बेघर धरने में पहुंचेंगे।

सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से
धरने में आज निम्न प्रस्ताव लिए गए जो सर्वसम्मति से पास हुए

  1. किसानों आंदोलन द्वारा एमएसपी के लिए कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है जिसका समर्थन किया जाए।
  2. किसान मजदूर आयोग की राज्य समिति बने।
  3. खेती, आबादी, शामलात आदि सभी प्रकार की भूमि के दस्तावेज पारदर्शी किए जाएं।
  4. जमीन पंजीकरण की प्रक्रिया सरल की जाए।
  5. जमीन में कागज मौके पर वास्तविकता में एक ही हों और इसकी जिम्मेदारी सरकार की हो।
  6. फसल बीमा सरकार द्वारा किया जाए ना कि प्राइवेट कंपनी द्वारा
  7. किसानों की सभी योजनाओं में भूमिहीन किसानों को भी जोड़ा जाए।
  8. राज्य में सभी चारागाह का सीमा ज्ञान करवाकर अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए।
  9. सभी चारागाह की भूमि का पंचायत के रजिस्टर में एंट्री की जाए।
  10. राज्य में शामलात नीति बनाई जाए और उसे लागू किया जाए।

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Avinash Barala Avinash Barala A Senior Journalist , Writer and Social Activist