जोधपुर में एक जागरूक युवक ने 17 वर्षीय नाबालिग का बाल विवाह रुकवाया
लड़की से उम्र में 6 साल बड़े लड़के से होने थे फेरे, दोनों परिवारों कि आपसी सहमति से होने जा रही थी यह शादी ।
भारत में बाल विवाह चिंता का विषय है। बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता है। कम उम्र में विवाह का लड़के और लड़कियों दोनों पर शारीरिक, बौद्धिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ता है, शिक्षा के अवसर कम हो जाते हैं और व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से नही हो पाता है। हांलाकि बाल विवाह से लड़के भी प्रभावित होते हैं। लेकिन यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे लड़कियां बड़ी संख्या में प्रभावित होती हैं। 18-29 (46 प्रतिशत) आयु वर्ग में करीब आधी महिलाएं और 21-29 (27 प्रतिशत) पुरुषों में एक चौथाई से ज्यादा का विवाह कानूनी तौर पर तय न्यूनतम् आयु तक पहुंचने से पहले ही विवाह हो जाता है। माना जाता है कि कम उम्र के विवाह के मुख्य कारणो में सांस्कृतिक चलन, सामाजिक परम्पराएं और आर्थिक दबाव गरीबी और असमानता है।
जोधपुर: बाल विवाह को रोकने को लिए प्रशासन द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद भी लोगों में शिक्षा की कमी के कारण व बाल विवाह करवाने का प्रयास करते हैं ।बाल विवाह वर्तमान में बढ़ती मंहगाई व अपराध कारण भी तेजी से हो रहे हैं। बाल विवाह का ऐसा ही एक मामला आज जोधपुर के देवनगर थाना क्षेत्र से सामने आया । जहां एक 17वर्षीय नाबालिग लड़की का बाल विवाह करवाया जा रहा था। इस बाल विवाह कि जानकारी इसी क्षेत्र के एक जागरूक युवक ने बाल कल्याण समिति को दि तो समिति ने तुरंत देवनगर पुलिस को जानकारी दी तो पुलिस ने यह बाल विवाह रूकवाया। समिति द्वारा तुरंत प्रभाव से पुलिस को सुचना देने के कारण एक बार विवाह होने से रुक गया।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. धनपत गुजर ने बताया कि समिति को क्षेत्र के एक जागरूक युवक के माध्यम से यह सुचना मिली कि देवनगर थाना क्षेत्र में एक 17वर्षीय नाबालिग लड़की की शादी करवाई जा रही है ।इस पर तुरंत ही सुचना के आधार पर देवनगर थाना पुलिस को पत्र लिखकर सुचना दी। सुचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और बाल विवाह रुकवाया। वहीं मौके पर हल्के के पटवारी भी पहुंचे और उक्त परिवार को पाबंद किया।
इसके बाद में परिजनों से नाबालिगा की आयु 18वर्ष पुरी नहीं होने तक विवाह नहीं करवाने को लेकर लिखित में लिया गया।
प्राथमिक तौर पर सामने आया कि यह शादी दोनो परिवारो की आपसी सहमति से हो रही थी लेकिन कानून गलत थी और बताया यह भी जा रहा है कि लड़के कि उम्र 23साल है जो लड़की से 6साल बड़ा भी है।
हालांकि एक जागरूक युवक कि सुचना पर यह बाल विवाह रुक गया।
क्या है बाल विवाह रोकने के वर्तमान में कानुनन प्रावधान
भारतीय संविधान में विभिन्न कानूनों और अधिनियमो के माध्यम से बाल विवाह रोकने का प्रावधान है। भारत में बाल विवाह को कुप्रथा माना गया है ।भारत में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए सर्वप्रथम 1928मे शारदा एक्ट नाम से कानुन बना इसे 1929 में लागु किया गया।
केन्द्र सरकार ने 1929 के बाल विवाह निषेध अधिनियम को निरस्त करके और उसके स्थान पर 2006 में अधिक प्रगतिशील बाल विवाह निषेध अधिनियम लाकर हाल के वर्षों में इस प्रथा को रोकने की दिशा में काम किया है। इसके अंतर्गत उन लोगों के खिलाफ कठोर उपाय किये गये हैं जो बाल विवाह कि इजाजत देते हैं और उसे बढ़ावा देते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है।। यह कानून नवम्बर 2007 में प्रभावी हुआ। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार अब तक 24 संघ राज्य क्षेत्रो/राज्यों ने नियम बनाये हैं और 20 संघ राज्य क्षेत्रों/राज्यों ने बाल-विवाह निषेध अधिकारियों की नियुक्ति की है। केन्द्र सरकार लगातार राज्य सरकारों से बाल-विवाह निषेध अधिकारियों कि नियुक्ति करने की बात कहती रहती है।
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