अनुभूति कार्यक्रम के तहत पर्यावरण को कैसे बचाना है, जंगल का भ्रमण करवा कर सभी छात्र-छात्राओं को बताया गया
दमोह: जिले के ग्राम सिंग्रामपुर में स्कूली छात्र-छात्राओं का अनुभूति कार्यक्रम वन मंडल दमोह की ओर से सिंग्रामपुर किले के समीप तालाब के बाजू में शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में सभी लोग बहुत ही अनुशासन के साथ बने रहे। इस दौरान वन स्थाई समिति सभापति अशोकरानी, एसडीओ आरसी चौबे, जनसंपर्क अधिकारी वाई.ए.कुरैशी, वन परिक्षेत्र अधिकारी आश्रय उपाध्याय, वन परिक्षेत्र अधिकारी विपुल प्रभात, समिति अध्यक्ष, अनुभूति कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर मुन्ना लाल सोनी सहित वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारीगण कार्यक्रम में मौजूद थे। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने वनों से होने वाले लाभ, स्वास्थ्य, पशु-पक्षियों के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
एसडीओ वन आरसी चौबे ने बताया अनुभूति कार्यक्रम की शुरुआत दमोह वन मंडल से की गई है। जिसके तहत स्कूल के छात्र-छात्राओं को सिंग्रामपुर के किला हाथी दरवाजे के समीप तालाब परिसर के साथ ही जंगल भी घुमाया गया। अनुभूति कार्यक्रम के तहत पर्यावरण को कैसे बचाना है, जंगल का भ्रमण करवा कर सभी छात्र-छात्राओं को बताया गया।
उन्होंने बताया जंगल के संबंध में सभी बच्चों को जानकारी दी गई, जिसमें वृक्षों को कैसे बचाना है उनका संरक्षण कैसे करना है, साथ ही जंगल में उपस्थित जीवो के बारे में भी बताया गया। यह कार्यक्रम पूरे महीने चलाया जाएगा जिसमें अलग-अलग स्कूलों से छात्र-छात्राओं को लाकर वाइल्ड लाइफ और जंगल के बारे में अनुभूति कराई जाएगी।
उन्होंने कहा मध्यप्रदेश के वनों को और सुंदर बनाने के लिए वन विभाग के द्वारा जो-जो कार्य किये जा सकते है किये जायेंगे। अनुभूति कार्यक्रम के माध्यम से लगातार छात्र-छात्राओं को जंगल के विषय में जानकारी दी जाएगी, उनको जंगल घुमाया जाएगा। छात्र-छात्राओं और आमजनो का सहयोग लेकर जंगल के संरक्षण में योगदान करेंगे।
वन परिक्षेत्र अधिकारी आश्रय उपाध्याय ने बताया आज दिनांक को मध्य प्रदेश इको पर्यटन विकास कोर्ट द्वारा अनुभूति कार्यक्रम चलाया जाता है। इस कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं को पर्यावरण के विषय में जनकारी दी जाती है और प्रकृति से कैसे जुड़े, प्रकृति के साथ कैसे सहयोग रखें इसके बारे में बताया जाता है। इसी विषय में आज सिंग्रामपुर परिक्षेत्र में वन विभाग की टीम द्वारा स्कूली छात्र-छात्राओं को सिंगौरगढ़ के परिक्षेत्र में लाया गया, उनको वनो में घुमाया गया, प्रकृति और पर्यावरण के विषय में जानकारी दी गई। छात्र-छात्राओं द्वारा भी पर्यावरण रुपी विषय में काफी चर्चा की गई। उन्होंने कहा छात्र-छात्राओं से आशा की गई कि वह भविष्य में पर्यावरण से जुड़ेंगे और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करेंगे।
इस अवसर पर वन परिक्षेत्र अधिकारी विपुल प्रभात ने बताया अनुभूति कार्यक्रम मध्यप्रदेश शासन द्वारा विशेष रूप से स्कूली छात्रों के लिए प्रोग्राम किया गया है, इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि छात्र-छात्राओं को प्रकृति और पर्यावरण के करीब लाना है और उन्हें पर्यावरण से जोड़ना है, जिससे उन्हें प्रकृति से प्रेम हो और वह पर्यावरण संरक्षण में कार्य करें। आज वन मंडल द्वारा सिंग्रामपुर स्कूल से बच्चों को लाया गया, सुबह से ही सभी बच्चे कार्यक्रम के लिए उत्साहित थे, स्कूल परिसर से बस के द्वारा उन्हें सिंगौरगढ़ वैरियर तक लाया गया, वहां से ट्रैकिंग करते हुए सिंगौरगढ तालाब तक पहुंचे, बीच-बीच में छात्र-छात्राओं को वन्य प्राणियों और वनो से संबंधित जानकारियां दी गई। उन्होंने बताया कार्यक्रम में सभी लोग बहुत ही अनुशासन के साथ बने रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र ने कहा प्रकृति हमें सब कुछ देती है पर हम प्रकृति को कुछ नहीं दे पाते हैं। यदि हम पर्यावरण का संरक्षण करें, तो हमारा भी प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व पूरा होगा। कार्यक्रम में उपस्थित छात्र ऋषिराज शुक्ला ने बताया संग्रामपुर में चारों तरफ जंगल ही जंगल है। जंगल की वजह से करोना के समय में हमें बहुत ही कम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहां का वातावरण बहुत ही साफ है। यहां पर ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। ऋषिराज ने कहा हमें पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने जन्मदिन पर सिर्फ एक पेड़ लगाकर उसकी रक्षा चाहिये, हर साल 1 पेड़ लगाने से बहुत सारे पेड़ हो जाएंगे इससे प्राकृतिक वातारण और हमें बहुत लाभ होगा।
इस अवसर पर छात्राओं ने वन से मिलने वाली औषधी, पर्यावरण और आक्सीजन के बारे में अपने विचार व्यक्त किये । उन्होंने वनों के संबंध में कविता, प्ररेणा दायक गीत प्रस्तुत किये।कार्यक्रम मे उपस्थित एक अन्य छात्रा ने कविता सुनाई "पेड़ों को हम काट रहे हैं प्रदूषण को हम पाल रहे हैं, इस जीवन को है मानव तुम संकट में क्यों डाल रहे हो, पेड़ों को तुम काट- काट कर संकट को बुलावा देते हो, यूं ही पेड़ों को काट दोगे तो वृक्ष पवन को तरसोगे , धरती बंजर हो जाएगी अन्न नीर को तरसोगे", इसी तरह एक छात्रा ने कविता के माध्यम से कहा शहर बसा कर सुकून के लिए गांव ढूंढ रहे हैं, बड़े अजीब है, लोग हाथों में कुल्हाड़ी लेकर गांव ढूंढ रहे हैं लोग।
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