जब अछूत व शूद्र वर्ग को पढ़ने की आजादी नहीं थी तब ज्योतिबा फूले और बाबासाहेब कैसे पढ़े थें

Jul 15, 2023 - 05:28
Jul 18, 2023 - 22:48
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जब अछूत व शूद्र वर्ग को पढ़ने की आजादी नहीं थी तब ज्योतिबा फूले और बाबासाहेब कैसे पढ़े थें

काफी लोग जो यह प्रश्न करते है कि जब एससी वर्ग को पढ़ने का अधिकार नही था फिर बाबा साहब के पिता कैसे पढ़कर सेना में नौकरी प्राप्त किये

बाबा साहब के पिता एक अमीर व्यक्ति थे. आर्थिक मामले में बाबा साहब काफी मजबूत थे, उनका ननिहाल भी काफी मजबूत था. यह कैसे हो सका? इसका कारण था की उनके पिता अंग्रेजो द्वारा भारतीयों के लिए सेना में सर्वोच्च पद "सूबेदार मेजर" के पद पर थे, बाबा साहब के दादा भी सेना में उच्च पद पर थे. इसलिए बाबा साहब पहले ऐसे अनुसूचित जाति के व्यक्ति थे जो मुंबई के सबसे महंगे व मशहूर स्कुल में पढ़े. ऐसा कैसे हो गया की जिस समाज को दूर रखा गया, उस समाज का व्यक्ति पढकर सेना में उच्च पद पर पहुच गया. इसकी जड में जायेंगे तो "लार्ड मैकाले" खड़े मिलेंगे.

लार्ड मैकाले फाइल फोटो

वास्तव में भारत मे शिक्षा के बन्द दरवाजे सभी वर्गों के लिए खोलने का कार्य लार्ड मैकाले ने किया। अगर बहुजन वर्गो की शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा योगदान किसी ने दिया है तो वो "लार्ड मैकाले" है जिनका पूरा नाम "थॉमस बेबिंगटन मैकाले" था।

मैकाले की वजह से ही शिक्षा के द्वार सभी के लिए खुलने की शुरुआत हुई।उन्होंने ही भारतीय शिक्षा पद्धति की शुरुआत की। जिसके कारण भारतीय दंड संहिता ( वर्तमान की IPC) की स्थापना भी उन्होंने ही करी थी।

कुछ वर्गों की जगह सभी के लिए शिक्षा की शुरुआत हुई, शिक्षा में आधुनिकता का समावेश हुआ। धार्मिकता की जगह वास्तविकता तथ्यों के आधारित शिक्षा की शुरुआत हुई।

जो इंग्लैंड में पढ़ा जा रहा था, वो ही उन्होंने भारत मे लागू किया, जबकि उससे पहले भारतीय शिक्षा गुरुकुल के माध्यम से केवल ब्राह्मण, छत्रिय, वैश्य व अमीर मुस्लिम वर्ग के लिए ही थी। मैकाले के प्रयास की वजह से डाभी वर्गों के लिए शिक्षा के द्धार खुल गए। मैकाले ने शिक्षा के माध्यम से पूरे विश्व के शैक्षिक सिधान्तो की शुरुआत भारत मे की।

इंग्लैड के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बोलते हुए मैकाले ने कहा था; ‘ये हम पर निर्भर करता है कि हम भारतीयों के साथ किस प्रकार बर्ताव करना चाहते हैं. क्या हम उन्हें अधीन बनाये रखना चाहते हैं? क्या हम समझते हैं कि हम भारतीयों में जाग्रति पैदा किये बगैर उन्हें ज्ञान दे सकते हैं? क्या हम उनमें महत्वाकांक्षा तो भर दें पर उसे बाहर निकालने का रास्ता न सुझाएं? बहुत संभव है कि भारतीय जनमानस हमारे द्वारा बनाई गई प्रणाली से पढ़ता हुआ उस प्रणाली से आगे निकल जाए: बेहतर सरकार देकर हम उनमें अच्छी सरकार बनाने की प्रेरणा दें. हमारी प्रणाली से पढ़कर संभव है, कि एक दिन वे यूरोप के जैसे संस्थान बनाने की इच्छा करें. क्या ऐसा दिन भारत में आएगा? मैं नहीं जानता. हां, पर ये ज़रूर जानता हूं कि मैं वो शख्स नहीं जो भारतीयों को पीछे धकेल दूं. या उस दिन को आने से रोक दूं. और कभी ऐसा दिन आया, तो इंग्लैंड के इतिहास में वो सबसे गौरवशाली क्षण होगा."

"केवल अंग्रेज होने के कारण हम उनके योगदान को नकार नही सकते है। भारत मे शिक्षा सभी के लिए, आधुनिकता के समावेश से इस प्रकार शुरुआत करी की भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था व दंड संहिता द्वारा कानून की जानकारी रख सके, व्यवस्थित तरीके से कानूनी नियमो का पालन कर सके। इसके लिए उस समय अफवाहें फैलाई गई कि अंग्रेजीयत के प्रसार के लिए ऐसा करा जा रहा है जबकि भारतीय वास्तविक रूप से "शिक्षा" शब्द का अर्थ ही तब जान पाए, जब मैकाले ने आधुनिक व सभी के लिए शिक्षा पद्धति की शुरुआत की।

भारतीय के तौर पर पिछड़ी काछी माली जाति में जन्मे फुले दम्पती के नाम पर होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने शिक्षा का प्रसार जन जन तक, अंतिम व्यक्ति तक पहुचाया। सावित्री बाई फुले ने पहला महिला विद्यायल भारत मे खोला, जिसकी वजह से महिलाओ के लिए शिक्षा के द्वार खुल सके।

Credit-विकाश कुमार जाटव

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