सियासी संकट के बाद विधायको को खुश रखने के लिए गहलोत का मास्टरस्ट्रोक, विधायकों की डिजायर पर हो रहे बंपर तबादले
राजस्थान में सियासी संकट के बाद अब प्रदेश की गहलोत सरकार में बंपर तबादलो का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश में विधायकों को खुश रखने के लिए उनकी डिजायर पर लगातार तबादले कर रहे है।
प्रदेश में विधायकों की डिजायर पर मनपसन्द अधिकारियों के स्थानांतरण/ पस्थापन हो रहे है। हाल ही में गत बुधवार को शिक्षा विभाग में साढ़े चार हजार पदों पर ट्रांसफर आदेश जारी किए गए जिसमें प्रिंसिपल से लेकर जमादार तक के पदों पर तबादले किए गए हैं। जानकारी के अनुसार शिक्षा निदेशालय ने अलग-अलग 95 आदेश जारी किए जहां इतने बड़े स्तर पर ट्रांसफर होने से शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हड़ंकप मचा हुआ है।
इससे पहले राज्य सरकार ने 201 आरएएस अधिकारियों के तबादले किए थे। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी भी विधायक की नाराजगी नही झेलना चाहती है।
शिक्षा विभाग में बुधवार को जारी हुई तबादला सूची के अनुसार 852 प्रिंसिपल, 233 वाइस प्रिंसिपल, 934 व्याख्याता 1857 वरिष्ठ अध्यापक, 23 वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक और 158 एपीओ चल रहे व्याख्याताओं के तबादले किए गए हैं। इसके अलावा लाईब्रेरियन, सहायक कार्मिक, लैब सहायक और जमादारों के भी तबादले किए गए हैं।
एक साथ चार हजार पांच सौ पदों पर हुए तबादले
प्रदेश में हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर हुए सियासी घटनाक्रम और अब मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बीच विधायकों की डिजायरें बढ़ गई है। जिसके चलते शिक्षा संकुल में मंत्रियों और विधायकों की आवाजाही बढ़ने लगी है। वहीं यह भी चर्चा का विषय है कि गहलोत ने विधायकों को खुश करने के लिए बड़े स्तर पर शिक्षा विभाग में तबादला आदेश जारी किए हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग में सभी तबादले स्थानीय विधायकों की डिजायर के बाद हुए हैं। तबादलों के बदले गहलोत सरकार विधानसभा चुनावों में फायदा तलाश रही है।
पिछले कुछ समय से कांग्रेस विधायकों की ओर से प्रशासन पर कई आरोप लगाए जाते रहे हैं जिसके बाद से कई विधायक सरकार से नाराज भी चल रहे थे। इधर राज्य में अभी तक तबादला नीति लागू नहीं होने के बावजूद शिक्षा विभाग में साढ़े चार हजार तबादले एक साथ हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत चाहते हैं कि विधायकों और कांग्रेस प्रत्याशियों की अनुशंसा पर अफसरों को पोस्टिंग दी जाए जिससे वह अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम कर सके और आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए एकजुट हो सके।
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