आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर उनको समर्पित कुछ पंक्तियां।
हम प्रकृति के पुत्र हैं, प्रतीक हमारी पूजा है।
जंगल में मंगल है मेरा न कोई आसरा दूजा है।।
पंच तत्वों के समीकरण से, मैं धरती में जीता हूं।
आसमान की छाया में सूर्य की रोशनी लेता हूं।।
कंद, मूल, फल, फूल सब भोजन में खा पाता हूं।
प्रकृति माता है मेरी मैं इस का सच्चा भ्राता हूं।।
जल, जंगल, जमीनों से, हमारा पुराना नाता है।
मौलिक हक है मेरा यह संविधान की गाथा है।।
छठवीं अनुसूची को क्यों कोई पढ़ नहीं पाता है।
संवैधानिक हक है मेरा नहीं कोई की भाषा है।।
झूठा है इतिहास वह जो गूगल के ऊपर लिखा है।
तात्या टोपे नहीं है हीरो असली बिरसा मुंडा है।।
झांसी की रानी से ज्यादा बलिदानी झलकारी है।
कर्नल टॉड की लिखावट में मीणा सबसे भारी है।।
लेखक
आशाराम मीणा
उप प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक कोटा राजस्थान।
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