बिहार के मोकामा में उपचुनाव आज: राजद और बीजेपी आमने-सामने
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बिहार राज्य के आज मोकामा विधानसभा के उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी. भाजपा और राजद प्रत्याशी आज नामांकन करेंगी. इस सीट पर इसबार फिर से दो बाहुबली अपना अपना ताकत दिखा रहे हैं. इस बार दोनों अनंत सिंह व ललन सिंह की पत्नी का नामांकन आज होगा।
Bihar State By Election 2022: बिहार उपचुनाव 2022 की तैयारी अब प्रत्याशियों ने तेज आज से कर दी है. भाजपा और राजद प्रत्याशी आज शुक्रवार को अपना अपना नामांकन करेंगी. वहीं नॉमिनेशन के दौरान दो बाहुबलियों के खेमे से भारी शक्ति प्रदर्शन के भी होने के कयास लगाये जा रहे हैं. बाहुबली अनंत सिंह और ललन सिंह का खेमा अपने अपने उम्मीदवार के लिए ताकत और समर्थन भरपूर प्रदर्शन करने का प्रयास करेगें।
राजद की तरफ से उम्मीदवार नीलम देवी और भाजपा की तरफ से उम्मीदवार सोनम देवी आज अपना पर्चा दाखिला करेंगी. नीलम देवी जेल में बंद बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी हैं जबकि सोनम देवी बाहुबलि ललन सिंह की पत्नी हैं. मोकामा में दो बाहुबलियों के बीच ही सीधा सीधा मुकाबला है. दोनों खेमा जीत के लिए अपनी पूरी ताकत को झोंकने की कोशिश करेगा. इसे देखते हुए प्रशासन भी यहां पूरी तरह अलर्ट मोड पर है।
बीजेपी के लिए उपचुनाव को जितना बहुत बड़ा चैलेंज
मोकामा की सीट राजद के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद से ही खाली पड़ी है. मोकामा बाहुबली अनंत सिंह का गढ़ माना जाता रहा है और स्थानीय लोगों के बीच वो छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं. वहीं इस सीट पर भाजपा ने अंतिम बार मोकामा से 1995 में अपना उम्मीदवार उतारा था. इसके बाद इस सीट को बीजेपी ने गठबंधन शर्त के तहत साथी दलों का ही साथ दिया. लेकिन बिहार में सियासी उलटफेर के बाद से अब इस सीट पर बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशी मैदान ए जंग में उतारा है।
अनंत सिंह का पलड़ा हमेसा से यहां पर भारी रहा है
मोकामा में भाजपा की उम्मीदवार सोनम देवी पहले भी चुनाव लड़ चुकी हैं. 2010 में सोनम सिंह चुनावी मैदान में उतरी थीं. लेकिन उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. वहीं उनके पति ललन सिंह ने 2005 में अनंत सिंह को चुनौती दी और उनकी हार इस चुनाव में जरुर हुई पर कम अंतर से ही उनकी हार हुई थी. ललन सिंह दो बार लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार भी रहे. वहीं एक बार उन्होंने जन अधिकार पार्टी से टिकट लेकर भी चुनाव लड़ा. जमीनी हकीकत को यहां हमेसा अनंत सिंह का ही पलड़ा भारी रहा है।
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