जीवित मनुष्य की तरह बर्ताव करती है कविता की परछाई: मनमीत

माइनस चार से प्लस पचास तक : पाठक पर्व में लेखकों और पाठकों ने व्यक्त किए विचार, ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित पाठक पर्व में शनिवार को मनमीत की पुस्तक ’माइनस चार से प्लस पचास तक’ का लोकार्पण हुआ।

Dec 22, 2024 - 06:19
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जीवित मनुष्य की तरह बर्ताव करती है कविता की परछाई: मनमीत
Photo: माइनस चार से प्लस पचास तक किताब का लोकार्पण

माइनस चार से प्लस पचास तक : पाठक पर्व में लेखकों और पाठकों ने व्यक्त किए विचार, ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित पाठक पर्व में शनिवार को मनमीत की पुस्तक ’माइनस चार से प्लस पचास तक’ का लोकार्पण हुआ। राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के मोहनसिंह मेहता सभागार में अन्य दो पुस्तकों पर भी चर्चा हुई। इसमें पाठकों ने इन पुस्तकों की प्रमुख बातों पर अपने विचार व्यक्त किए। 

कार्यक्रम की शुरुआत में लेखक मनमीत ने अपनी पुस्तक पर चर्चा की और लेखन के दौरान अपने मन में उठी विभिन्न भावनाओं और अनुभवों को साझा किया। लेखक मनमीत ने कहा कि कविता एक कमाल की चीज है..। इसका चेहरा है लेकिन नहीं है! इसका जिस्म है लेकिन नहीं है इसकी परछाई है जो एक जीते-जागते आदमी की तरह बर्ताव करती है...! मैं कविता को कितना समझ पाया हूँ, यह कहना मुश्किल है लेकिन मैं कह सकता हूँ कि कविता ने मुझे जरूर समझ लिया है। कविता लिखने में एक अदृश्य हाथ की बड़ी जरूरत होती है। यह अदृश्य हाथ जब तक आपका हाथ पकड़े रखता है, आप कहीं भी कभी भी आ-जा सकते हैं। मुझे लगता है कि मेरे साथ वह अदृश्य हाथ शुरू से ही रहा है। लेखक ने कुछ कविताओं का पाठ भी किया। 

इसके बाद देवांशु झा ने सूर्यकान्त त्रिपाठी ’निराला’ की रचना ’तुलसीदास’ तुलसीदास एक नायक हैं, जिन्होंने पराधीनता के युग में भारत को सही मार्ग दिखाया। ‘तुलसीदास’ कविता की पंक्तियों से भारत के नवजागरण के विचार को पुष्ट करती हैं। इस कविता का अर्थ कई स्तरों पर फलित होता है, यह निराला जी का वैशिष्ट्य है। इस कविता को बहुत कम पढ़ा गया हैं, यह विडम्बना हैं। क्योंकि यह बहुत कठिन है। इसके शब्दों का अर्थ कई परतों में निकलता है। कवि ने किताब में शब्दों से एक सुंदर चित्र खींचा है। यह अत्यन्त पठनीय किताब है।इसकी परतें धीरे धीरे खुलती जाती है। इसमें तत्कालीन भारतीय समाज को उधेड़ने का काम किया है। इस कविता का अंत कवि ने अपनी उज्जवलता पर जीत दर्ज के साथ किया। 

राव शिवपाल सिंह ने सिसिर के बोस तथा सुगता बोस द्वारा संपादित ’एन इंडियन पिलग्रिम’ ’सुभाषचंद्र बोस की जीवनी’ पर पाठक के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने सुभाषचंद्र बोस के विचार बताते हुए कहा कि कई बार हमें परिस्थितियों से सामंजस्य बना के आगे बढ़ना होता है। विचारों की शक्ति को सही दिशा में लगाना आवश्यक है।

राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के सचिव राजेंद्र बोड़ा ने आभार व्यक्त किया। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी। इस अवसर पर कल्याण सिंह शेखावत, गोपाल शर्मा प्रभाकर, डॉ अमित कल्ला, महेश चन्द्र शर्मा सहित पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे। 

फाउंडेशन के प्रवक्ता सुरेन्द्र बैरवा ने बताया कि पाठक पर्व का उद्देश्य पुस्तकों की विषय वस्तु पर चर्चा करना और यह समझना है कि पुस्तक को क्यों और कैसे पढ़ा जाना चाहिए। यह आयोजन पाठकों के बीच साहित्यिक विमर्श और ज्ञानवर्धन का अवसर प्रदान करता है।

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Jitendra Meena Jitendra Meena Is A Journalist | Editor Of Mission Ki Awaaz | Jitendra Meena was born on 07 August 1999 in village Gurdeh, located near tehsil mandrayal City of Karauli district of Rajasthan.