राजनीतिक दलों का जाट समुदाय से भेदभाव, 51 सालों में किसी जाट प्रत्याशी को नहीं मिला टिकट
डॉ कप्तान सिंह ने राजनीतिक पार्टियों पर लगाए आरोप
राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक है पॉलिटिकल पार्टियां अपने अपने समीकरण बनाने में व्यस्त हैं लेकीन विभिन्न दलों का टिकट के तौर पर भेदभाव देखने को मिलता है जाट नेता डॉ कप्तान सिंह ने राजनीतिक दलों पर भरतपुर विधानसभा में जाट मतदाताओं की संख्या अधिक होने बावजूद भी किसी जाट प्रत्याशी को टिकट न देने का आरोप लगाया है। डॉ कप्तान सिंह का कहना है कि सर्वाधिक मतदाता जाट होते हुए भी पिछले 51 साल में किसी भी राष्ट्रीय पार्टी ने किसी जाट प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया जाट केवल मतदाता के रूप में ही स्वीकार हैं प्रत्याशी के रूप में स्वीकार्य नहीं है इतने लंबे अरसे से किसी जाट को प्रत्याशी नहीं बनाना यही दर्शाता है, जबकि जाट सभी को साथ लेकर एवं मिलजुल कर रहते हैं और यहां तक की जाट अपनी खून पसीने की कमाई का भी खुद मूल्य नहीं लगा पाता,सदियों से मंडियों में उसके माल की कीमत तय की जाती है यह एकमात्र उदाहरण है जिसमें बेचने वाला अपने माल की कीमत खुद नहीं लगाता दूसरे लोग उसके माल की कीमत तय करते हैं। परंतु अब समय के अनुसार आम जाट भी जाग चुका है और उसे भी भली-भांति पता है कि लोकतंत्र में संख्या बल का खेल होता है जिसका संख्या बल अधिक हो उसे अब यह पार्टियां दरकिनार नहीं कर सकतीं और इस बार किसी जाट प्रत्याशी को ही टिकट देना पड़ेगा जिसका वह बहुत दिनों से हकदार है,नहीं तो इस बार जाट इन पार्टियों की हाट हटा देंगे। उन्होंने कहा कि संख्या बल के आधार पर सबसे ज्यादा लगभग 80 हजार जाट मतदाता हैं। तो किसी राष्ट्रीय पार्टी ने भरतपुर विधानसभा में किसी जाट प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दिया ।
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