राजस्थान यूनिवर्सिटी में 23 सितंबर मनाया डॉ अम्बेडकर संकल्प दिवस

डॉ सुमन मौर्य की अध्यक्ष्ता में पत्रकारिता विश्वविद्यालय कुलपति सुधी राजीव रही मुख्य अतिथि संविधान प्रस्तावना से कार्यक्रम शुरू किया गया

Sep 24, 2023 - 07:11
Sep 24, 2023 - 07:16
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राजस्थान यूनिवर्सिटी में 23 सितंबर मनाया डॉ अम्बेडकर संकल्प दिवस

जयपुर: डॉ. अंबेडकर अध्ययन केंद्र, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के तत्वाधान में 23 सितंबर 2023 को विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में 'डॉ. अंबेडकर का संविधान: कल आज और कल 'विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का शुभारंभ संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर किया गया।डॉ अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हरदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, जयपुर की कुलपति प्रोफेसर सुधी राजीव तथा विशेष अतिथि राजनीति विज्ञान विभाग प्रोफेसर श्याम मोहन अग्रवाल रहे और राजस्थान विश्वविद्यालय के CF-FA श्री रामसुख जाटोलिया रहे| कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजीव गांधी स्टडी सेंटर के नेशनल कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर सतीश कुमार राय रहे| कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र की निदेशक डॉ सुमन मौर्य द्वारा की गई| डॉ सुमन मौर्य ने अपने अध्यक्ष उद्बोधन में कहा कि अंबेडकर के जीवन संघर्ष को संकल्प के रूप में स्वीकार करके ही उनके आदर्शों को जीवंत कर सकते हैं| 23 सितंबर 1917 को बड़ौदा स्टेशन के पास सयाजी गार्डन में एक पेड़ के नीचे बैठकर बाबा साहब ने ये संकल्प लिया की मैं जातिवाद को मिटाकर रहूँगा। संकल्प भूमि” एक ऐसी जगह है जहां बाबा साहब द्वारा एक महत्वपूर्ण संकल्प किया गया था और यह संकल्प आज ही के दिन 23 सितंबर 1917 को किया था। इसलिए यह दिवस “संकल्प दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

 बनारस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सतीश राय ने अपने उद्बोधन में कहा जिस प्रकार राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी का नाम अग्रणी रूप में लिया जाता है, उसी प्रकार संविधान निर्माण में डॉ अंबेडकर का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है| संविधान जीवंत था जीवंत है और जीवंत रहेगा तथा केशवानंद भारती केस में समाजवाद और पंथनिरपेक्षता आधारभूत ढांचे के भाग माने गए जो की सदैव रहेंगे। प्रोफेसर सुधी राजीव ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंबेडकर सामाजिक न्याय के अग्रदूत थे और परिवर्तन की धारा के वाहक थे उन्होंने महिलाओं दलित व दमित वर्ग के लिए लिए संवैधानिक स्तर पर प्रयास किया तथा भारत में संविधान लागू होने के साथी महिलाओं को भी मताधिकार का अधिकार मिलना यह तमाम विकसित राष्ट्रों से भी प्रबल अवधारणा डॉ अंबेडकर की रही।प्रोफेसर श्याम मोहन अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ अंबेडकर मानव ही नहीं महामानव थे| वंचित शोषित पीड़ित वर्ग के मसीहा ही नहीं संपूर्ण समाज के मसीहा थे| श्री रामसुख जाटोलिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंबेडकर केंद्र को एक संदर्भ केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिए| इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर पूर्ण सहयोग किया जाएगा| कार्यक्रम में प्रोफेसर मिता माथुर, डॉ शैलेंद्र मौर्य, डॉ. पूनम विश्नोई, डॉ सुमित्रा शर्मा, डॉ रश्मि, डॉ कानाराम, डॉ दीपक भटनागर, राखी पालीवाल,रणवीर सिंहरणवीर सिंह, अतुल आदि उपस्थित रहे| कार्यक्रम के अंत में डॉ. यश जैन ने अतिथियों को आभार ज्ञापित किया कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ रश्मि बुंदेल ने किया।

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