करौली में शिक्षा, प्रशासन एवं सत्ता में भागीदारी को लेकर परिवर्तन संस्था द्वारा किया गया तृतीय जिला अधिवेशन का आयोजन।
Karauli: करौली में शिक्षा, प्रशासन एवं सत्ता में भागीदारी को लेकर परिवर्तन संस्था द्वारा तृतीय जिला अधिवेशन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय अध्यक्ष वेदवीर सिंह आदिवासी ने की तथा संचालन जिलाध्यक्ष अनूप कुमार ने किया। इस अवसर पर संस्था प्रमुख चौ० विनोद अंबेडकर को गरिमामई उपस्तिथि बतौर मुख्य अतिथि रही संस्था के केंद्रीय प्रचार सचिव सोनू सिंह अंबेडकर, प्रदेश महासचिव रामबाबू गोडीवाल, गोपाल धमोनिया, रमेश चंद साहू, संजय कुमार, ओमप्रकाश विशिष्ठ अतिथि रहे।
अधिवेशन का प्रारंभ बाबा साहब अम्बेडकर के सम्मुख पुष्प अर्पित कर संस्था के समूहगान के साथ हुवा। अधिवेशन में विषयगत प्रबोधन करते हुवे मुख्यातिथि संस्था प्रमुख चौ० विनोद अंबेडकर ने कहा कि अगर अंतिम पायदान के समाज को अग्रणीय पंक्ति में आने के लिए शिक्षा, प्रशासन एवं सत्ता में आगीदारी लेनी होगी और इसके लिए सामाजिक एकजुटता पहली शर्त है। परंतु जो समाज महापुरुषों एवं अपने इतिहास को नहीं जानता वह समाज कभी सामाजिक रूप से एकजुट नहीं हो सकता और बिखरा हुवा समाज हमेशा दीनहीन बना रहता है आप लोग अपनी दशा तो देखो ? ना शिक्षा में ना प्रशासन में ना सत्ता में आपको किसी भी क्षेत्र में ना तो जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी मिल रही है और ना सामाजिक सम्मान इसीलिए आप लोगो पर अत्याचार होते है. आपकी हकमारी हो रही है, आखिर कब तक गरीबी और जिल्लत का जीवन जिओगे? आप लोगों की ऐसी दशा से बहुत चिंतित और चिंतनशील हूँ। मैं अंतिम पायदान की जातियों को शिक्षा, प्रशासन पब सता में भागीदारी दिलाना चाहता हूँ।" इसी मार्ग से तुम पर होने वाले अत्याचार और इकमारी रुकेगी। आप लोग मुझपर भरोसा करके फुलै अंबेडकर काशीराम की विचारधारा से सामाजिक एकजुटता पैदा करने में सहयोग करें, तो मैं आप लोगो को शिक्षा प्रशासन और सत्ता में भागीदारी बोनस में दूंगा। लेकिन आपकी प्राब्लम ये है कि आपको दोस्त और दुश्मन की पहचान नहीं है। तुम उन्हीं राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों और तथाकथित नेताओं के पीछे दौड़ते रहते हो जो तुम्हें हमेशा अपना पिछलग्गू बनाए रहते हैं। ध्यान रहे उनको मनसा कभी भी तुम्हे कुछ देने की नहीं है। तुम तो बस उन लोगों के लिए वोट भर हो या तो फिर सस्ते गुलाम अध्यक्षीय भाषण में केंद्रीय अध्यक्ष वैदवीर सिंह आदिवासी ने कहा कि संस्था प्रमुख फूले अंबेडकर कांशीराम की विरासत के वारिस है और आपको मान सम्मान, शिक्षा प्रशासन एवं सता में भागीदारी दिलाने के लिए 28 वर्षों से सत्यनिष्ठा के साथ जो जान से जुटे हुवे है। इन्होंने समाजहित आईएएस की परीक्षा बीच में छोड़ी, एमएलसी (विधायक) के ऑफर को ठुकराया SC/ST एक्ट बचाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन में निर्दोष होते हुवे भी लगभग 6 माह की जेल काटी इतना बड़ा त्याग, बलिदान, साहस फूले अंबेडकर कांशीराम के बाद अगर किसी दलित नेता ने किया तो वह और कोई नही बल्कि हमारे बीच साधारण रूप से बैठे हुवे संस्था प्रमुख घी० विनोद अंबेडकर है ये चाहते तो गाड़ी, बंगला, ऐशो आराम का जीवन चुन सकते थे। लेकिन आप लोगों की खातिर इन्होंने अभाव और बेबसी का जीवन चुना क्योंकि इनकी मनसा स्वयं को नहीं बल्कि समाज को लाभान्वित करने की है। इसलिए वक्त रहते उनका साथ सहयोग करो।
अधिवेशन में मुख्यरूप से सूरज डागर, दिलीप कुमार, अनूप कुमार, चेतन हल्दिया, राजीव कुमार, ऋषभ कुमार, रवि कुमार, त्रिलोक वारसा, अमित तेजी, अजय, मुकेश गोयर, प्रवीण लखन, संदीप डागर, गयासी नेता, मुन्ना हल्दिया प्रकाश, महेश राहुल, राधेश्याम हिंडौन से चरणदास जादो, संजय कुमार, सवाई माधोपुर से किशन गोयर, रमेशचन्द, गंगापुर से गोपाल, सतीश धमोनिया, ओमप्रकाश घट, कैलादेवी से जीतू, मासलपुर से भंवर सरपंच आदि की उपस्तिथि रहीं।
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