दलित आदिवासीयो के हित पर अहम बातचीत का मुद्दा जन हक धरना
जयपुर शहीद स्मारक में चल रहे जन हक धरने को 13 वां दिन था | आज विचार विमर्श करने का मुद्दा बहोत ज्यादा गंभीर था जिससे जानना और समझना बहोत जरुरी है आखिर आज भी इन सबसे वंचित है दलित और आदिवासी समुदाय यहां आए सैकडो़ संगठनो के कार्यकर्त्ता, संवैधानिक व मानवतावादी मूल्यो पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता पहुंचे और यह बहोत जरुरी विषय है।
अगर सरकार वास्तव में दलित और आदिवासियों का हित करना चाहती है तो जनसंख्या के अनुपात में बजट मिलना सुनिश्चित करे - भंवर मेघवंशी
कानून को धरातल पर लागू करने के लिए विशेष योजनाएं बनाएं सरकार -सतीश कुमार
सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण हो - निखिल डे
राजस्थान में महिलाएं सुरक्षित नहीं और इसके लिए जिम्मेदारी किसकी - कश्मीरा सिंह
हमारे बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अलग से योजना बने - श्यामलाल भील
दलित और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामलों में उचित कार्यवाही करने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो -सुमन देवठिया
इस कानून के नियमों का परीक्षण करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाए और समुदाय को उसमें भागीदार बनाया जाए - ताराचंद वर्मा
समुदाय को जागरूक करने का काम और शिक्षित करने का काम साथ साथ करना होगा - सुमन
दलित और आदिवासियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है - गणपतलाल मेहरा
वन संरक्षण संशोधन विधेयक को रद्द करे केंद्र सरकार -धर्मचंद खैर
घुमंतू समुदाय के लिए नीति लाए सरकार तथा सभी समुदाय एकजुट हों - नवीन नारायण
जयपुर: सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा राज्य में जवाबदेही कानून की मांग को लेकर चल रहे जन हक धरने में आज एससी/एसटी विकास निधि कानून एवं अत्याचारों को लेकर बातचीत हुई। राज्य में बढ़ रहे अत्याचारों के लिए कौन जिम्मेदार है आदि पर विस्तार से चर्चा हुई। दलित चिंतक, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता पीयूसीएल के राज्य अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने कहा कि -अगर सरकार वास्तव में दलितों और आदिवासियों का हित करना चाहती है तो उनकी आबादी के अनुपात में बजट मिलना सुनिश्चित हो यह तय करना होगा.हमारा संघर्ष इसी के लिए हैं.सरकार केवल जवानी जमा खर्च तथा अकाउंटिंग एक्सरेसाइज़ करके लोगों को गुमराह न करें, बल्कि राज्य के बजट में दलित आदिवासी समुदाय के लिए पैसों का रिज़र्वेशन करें. मेघवंशी ने बढ़ते दलित अत्याचारों पर गहरी चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय विजिलेंस और मॉनिटरिंग कमेटी की मीटिंग इसी माह में बुलाने की माँग भी की है, जिसकी मीटिंग विगत साढ़े चार साल से एक भी बार नहीं हुई है।
दलित अधिकार केंद्र के निदेशक श्री सतीश कुमार ने धरने में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार बाकी राज्यों से कमजोर कानून लेकर आई है। जो एक- एक हजार करोड़ की बजट में घोषणा की गई लेकिन उसका आवंटन नहीं हो रहा है और उसे धरातल पर लागू किए जाने के लिए अलग से योजनाएं नहीं बनाई जा रही है।
सभा को बजट अध्ययन केंद्र से जुड़े महेंद्र सिंह राव ने कहा कि एससी/ एसटी की जमीनी जरूरत के आधार पर उनके लिए अलग से योजनाएं बनाई जाए और जनसंख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो। सामाजिक कार्यकर्ता एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक निखिल डे ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण करवाया जाए जिससे इसमें कहीं पर कोई गलती हो रही है उसे पकड़ा जा सके।
दलित महिला मंच से जुड़ी कश्मीरा सिंह ने कहा कि राजस्थान में लगातार दलित महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं, दलित महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नजर नहीं आती हैं, सरकार इसका कब जवाब देगी। उन्होंने महिलाओं के अनुपात में बजट आवंटन की मांग भी उठाई। आदिवासी क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले श्यामलाल भील ने कहा कि आज हमारा समाज पिछड़ा इसलिए है क्योंकि हमारे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और उसके लिए इस कानून के तहत योजनाएं बनाई जाए।
आगाज फाउंडेशन की संस्थापक एवं दलित महिलाओं के अधिकारों एवं अत्याचारों के खिलाफ वर्षों से लड़ रही सुमन देवठिया ने कहा कि राजस्थान में दलित अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं, सरकार आखिर क्यों कुछ नहीं करती है, उन्होंने कहा कि हर रोज इतने मामले संज्ञान में आते हैं इसको देखकर लगता है कि पुलिस और सरकार की जवाबदेही हर हालत में तय होनी चाहिए।
अधिकार संदर्भ केंद्र से जुड़े ताराचंद वर्मा ने कहा कि एससी/एसटी विकास निधि कानून बना दिया यह अच्छी बात है लेकिन अभी तक इसके नियम नहीं बनाए गए हैं वे तुरंत बनाया जाए जिससे इसे लागू किया जा सकें।
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़ी सुमन एंपा ने कहा कि हमें सरकार से मांग के साथ साथ समाज में अधिकारों के प्रति जागरूकता लाएं तो समाज अवश्य ही आगे बढ़ेगा।
आइडिया संस्था के निदेशक गणपतलाल मेहरा ने कहा कि दलित आदिवासी समुदाय की किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है,जबकि इन वर्गों की हालात निरंतर बिगड़ रहे हैं। राजस्थान आदिवासी अधिकार मंच से जुड़े धर्मचंद खैर ने धरने में अपनी बात रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार जो वन संरक्षण संशोधन विधेयक ला रही है उसे रद्द करे, उन्होंने कहा कि सरकार पूंजीपतियों को जंगल की जमीन देने के लिए यह विधेयक ला रही है, ये विधेयक आदिवासियों के साथ साथ पूरे देश के लिए खतरनाक है क्योंकि इसका हमारे पर्यावरण पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने आदिवासियों के लिए उनकी संख्या में बजट आवंटन और योजना बनाने की बात भी रखी।
घुमंतू समुदाय के साथ लंबे समय से काम कर रहे डॉक्टर नवीन नारायण ने सबसे वंचित घुमंतू समुदाय के लिए बजट प्रावधानों की ज़रूरत बताई और कहा कि सरकार घुमंतू नीति प्रस्तुत करें और उसे तुरंत लागू करें, उन्होंने लोगों से उपजातियों में नहीं बंटने और संगठित हो कर संघर्ष करने का आह्वान किया।
इन्होंने किया संबोधित
चंदालाल वैरबा, हेमंत मिमरोठ, रामदयाल मीना, ममता, इमाराम, सांवरलाल, हीरालाल, जगसीर सिंह, कैलाश मेघवाल, भंवरलाल, विमला मीना आदि ने संबोधित किया।
सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली से मिला प्रतिनिधिमंडल
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री टीकाराम जूली से 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मिला जिसमें प्रमुख रूप से भंवर मेघवंशी, निखिल डे, सतीश कुमार, ताराचंद वर्मा, धर्मचंद खैर, कश्मीरा सिंह, रुक्मणि सालवी, गणपतलाल मेहरा, नवीन नारायण, विमला मीना, आदेश भाई परेशान, शंकर सिंह, मूलचंद, पूराराम, प्रणव, धर्मराज, मुकेश निर्वासित आदि शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल एससी/एसटी विकास निधि कानून एवं उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। इसी के साथ एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून, सामाजिक सुरक्षा पेंशन व सिलिकोसिस पर भी बातचीत हुई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री टीकाराम जूली, विभाग के शासन सचिव श्री समित शर्मा एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे, मंत्री ने सभी बातों को बहुत गंभीरता से सुना और उचित कार्यवाही तुरंत किए जाने का आश्वासन दिया।
स्वास्थ्य के अधिकार कानून एवं जवाबदेही पर चर्चा कल
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा चल रहे जन हक धरने में कल दिनांक 19 जुलाई 2023 को स्वास्थ्य का अधिकार कानून एवं क्रियान्वयन से जुड़ी विभिन्न मांगों पर चर्चा होगी।
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