बसपा की 'संकल्प-यात्रा' को सीमावर्ती एरिया में मिला जोरदार समर्थन, दोनों बड़ी पार्टियां असमंजस में
दर्जनभर सीटों पर बसपा सीधे टक्कर में नजर आने लगी है दोनों बड़ी पार्टियों से नाराज जनता को मिल रहा तीसरा विकल्प
चूरू: बीते अगस्त माह के अंतिम पकवाड़े में बहुजन समाज पार्टी की ओर से आयोजित 'सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा' ने प्रदेश में बारी बारी से सत्ता हथियाने वाली दोनों बड़ी पार्टियों को जनता के बीच जाने को मजबूर कर दिया है | 16 अगस्त से धौलपुर से शुरू हुई इस यात्रा ने दो सप्ताह में सीमावर्ती भरतपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर सहित अनेकों जिलों को कवर किया और जयपुर के शहीद स्मारक पर आकर इसका प्रभावशाली समापन देखने को मिला। यात्रा के दौरान पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद जहाँ स्वयं को पार्टी के उभरते जनप्रिय नेता के रूप में स्थापित करने में सफल रहे,वहीं पार्टी ने विधानसभावार अपने उम्मीदवारों के दमखम को भी परखा | इस यात्रा ने जहाँ पार्टी के जमीनी कार्यकर्त्ता को सक्रिय कर डाला वहीं प्रदेश के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में लोगों का भारी हुजूम भी देखने को मिला | दोनों बड़ी पार्टियों से नाराज जनता इस यात्रा की मार्फत तीसरे विकल्प के रूप में बसपा के साथ जुड़ने तैयार नजर आई | जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है या पूर्व में जहाँ बसपा जीत दर्ज कर चुकी है वहां हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ और सैकड़ों वाहनों के काफिले ने पार्टी के आला नेतृत्व तक को अचम्भे में डाल दिया है | बसपा की ओर खिसकते इस जन समर्थन से चिंतित दोनों ही बड़ी पार्टियां भी अब जनता के बीच अपनी सक्रियता बढ़ाने को मजबूर हो गई हैं | कांग्रेस जहाँ जिला व तहसील स्तर के पदाधिकारी नियुक्त करने में तेजी लाई है वहीं भाजपा ने भी परिवर्तन यात्रा का रुट तय कर लिया है।
बसपा की इस संकल्प यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन सीटों पर बसपा ने अन्य पार्टियों से काफी समय पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं उसका काफी फायदा उसे मिला रहा है | साथ ही प्रदेश के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र सादुलपुर, पीलीबंगा, खेतड़ी, तिजारा, खैरथल, नगर, नदबई, कोटपूतली, किशनगढ़बास, करौली सहित गंगापुर सिटी, हिंडौन आदि दर्जनभर सीटों पर आज के दिन बसपा बेहद मजबूत स्थिति में नजर आने लगी है।
हालांकि इस यात्रा को प्रदेश के पश्चिम जिलों सहित जयपुर में भी व्यापक समर्थन मिलता नजर आया है | गत चुनावों में भी बसपा ने छः सीट जीतकर प्रदेश में तीसरे विकल्प की ओर ईशारा किया था | लेकिन अबकी बार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व के बीच गजब का तालमेल एवं चुनाव के प्रति संवेदनशीलता तथा मजबूत व टिकाऊ उम्मीदवारों की पहचान के साथ उनके समर्थन में यह बसपा की यह संकल्प-यात्रा प्रदेश में किसी बड़े सियासी कदम से कम नहीं है |
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