अयोध्या धाम । आओं चलें अयोध्या धाम आओ चले अयोध्या धाम । कवि विशाल श्रीवास्तव
अन्तर्मन में आओ बसाएं हम अपने सियाराम आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
शीर्षक : अयोध्या धाम
अन्तर्मन में आओ बसाएं हम अपने सियाराम
आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
रघुनंदन राघव सीतापति अपने हरि की छवि निहारें
राम भजें हम राम ही गाएं मरते दम तक राम पुकारें
राम आरती भजन कीर्तन में बीते हर शाम
आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
चमक रही राघव की नगरी अनुपम दृश्य सुहाना है
कौशल्यानंदन की नगरी में हम सबको जाना है
अवधपुरी की गली गली में गूंजे हरि का नाम
आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
आज तलक हैं रामभक्त बाबूजी की वो बातें याद
कारसेवकों के परिवारों पे गुजरीं वो रातें याद
सिर्फ वीर व योद्धा कर सकते थे ऐसा काम
आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
भक्त जन, मंदिर, घर-आंगन आज देखो सज रहे हैं
ढोल बाजे भी स्वागत हेतु देखो बज रहे हैं
एक साथ ऊंचे स्वर में बोलो जय जय श्री राम
आओ चलें अयोध्या धाम आओ चलें अयोध्या धाम
~ विशाल श्रीवास्तव
डिस्क्लेमर : यह लेखक या रचनाकार के अपने विचार हैं उनकी अनुमति से यह रचना प्रकाशित की गई है ।
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