Ramabai Birth Anniversary : रमाबाई को नहीं मिला था मंदिर में प्रवेश, घर घर जाकर काम किया, जाने रमाबाई का संघर्ष ?

Ramabai Ambedkar Birth Anniversary: बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमाबाई अंबेडकर की आज जंयती है। रमाबाई भीमराव अंबेडकर का जन्म 7 फरवरी 1898 को एक गरीब दलित परिवार में हुआ था । 1898 में जन्मीं रमाबाई भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम भीकू धात्रे और माता का नाम रुक्मिणी था। उनके पिता कुली का काम करते थे और अपने परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाते थे । पूरा लेख पढ़ें !

Feb 7, 2025 - 14:21
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Ramabai Birth Anniversary : रमाबाई को नहीं मिला था मंदिर में प्रवेश, घर घर जाकर काम किया, जाने रमाबाई का संघर्ष ?
Ramabai Ambedkar

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमाबाई अंबेडकर की आज जंयती है। रमाबाई भीमराव अंबेडकर का जन्म 7 फरवरी 1898 को एक गरीब दलित परिवार में हुआ था । 1898 में जन्मीं रमाबाई भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम भीकू धात्रे और माता का नाम रुक्मिणी था। उनके पिता कुली का काम करते थे और अपने परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाते थे । रमाबाई के पिता दाभोल बंदरगाह से मछली की टोकरी को बाजार तक ढोकर परिवार की आजीविका चलाते थे ।

नौ वर्ष की आयु में शादी - 1906 में भायखला बाजार में बाबासाहेब अम्बेडकर से रमाबाई की शादी हुई। शादी के समय रमाबाई अंबेडकर नौ साल की थीं और बाबा साहेब 15 साल के थे। रमाबाई अपने पति भीमराव अंबेडकर को प्यार से साहेब कहकर बुलाती थीं और पति अंबेडकर उनको रामू कहते थे। 

रमाबाई को मंदिर में नहीं मिला प्रवेश - रमाबाई एक सदाचारी और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। उन्हें पंढरपुर के विठ्ठल-रुक्मणी का प्रसिद्ध मंदिर जाने की इच्छा थी। उस समय साधुओं को मंदिर में जाने की मनाही थी । बाबा साहब रमाबाई को बहुत समझाते थे, ऐसे मंदिरों में जाने से उनके स्थान नहीं हो सकते। मगर रमाबाई के बहुत जिद करने पर बाबा साहब रमाबाई को मंदिर ले गए, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया ।

घर घर जाकर काम किया और गोबर के उपले बेचे - डॉ. भीमराव आंबेडकर को लगता था कि शिक्षा के बिना सामाजिक न्याय के लिए उनका संघर्ष आगे ही नहीं बढ़ सकता है, उनकी यह बात रमाबाई अच्छे से समझती थीं । इसलिए जब अपनी पढ़ाई के लिए बाबा साहेब सालों घर से बाहर रहे तब भी उन्होंने उफ तक नहीं की, लोगों ने उन्हें ताने मारे, घर में अभाव भरे पड़े थे पर वह सब कुछ संभालती रहीं, घर चलाने के लिए कभी-कभी वह घर-घर जाकर उपले भी बेचती थीं । कई बार तो यहां तक नौबत आ गई उन्हें दूसरों के घरों में जाकर काम करना पड़ा पर वह हिम्मत नहीं हारतीं और हर काम कर बाबा साहेब की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाती रहीं ।

थॉट्स ऑफ पाकिस्तान - बाबासाहेब अम्बेडकर ने 1940 में प्रकाशित “थॉट्स ऑफ पाकिस्तान” नाम की अपनी पुस्तक में अपने जीवन पर रमाबाई के प्रभाव को स्वीकार किया है । उन्होंने अपनी पुस्तक 'थॉट्स ऑफ पाकिस्तान' को अपनी प्यारी पत्नी रमाबाई को समर्पित किया है । उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि मामूली भीमा से डॉ. अंबेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को जाता है।

भीमराव अंबेडकर और रमाबाई की एक बेटी (इंदु) और चार बेटे (यशवंत, गंगाधर, रमेश और राजरत्न) थे, लेकिन उनके चार बच्चों की मौत हो गई। उनके सबसे बड़े बेटे यशवंत एकमात्र जिंदा बचे। लंबी बीमारी के बाद रमाबाई अम्बेडकर का मुंबई में 27 मई 1935 को निधन हो गया । जब उनका निधन हुआ, तो भीमराव अंबेडकर और रमाबाई की शादी के 29 साल हुए थे। लगातार 29 सालों तक रमाबाई ने बाबा साहेब का साथ दिया ।

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Jitendra Meena Journalist, Mission Ki Awaaz